“भारत को विश्व कप जीतने की राह दिखा दी” — हार्मनप्रीत कौर की कमबैक कहानी
प्रस्तावना
दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ बल्लेबाज़ों ने एक लंबी अवधि तक सशक्त तरीके से रन बनाए, लेकिन भारतीय टीम की कप्तान, हार्मनप्रीत कौर, ज़रा सा संघर्ष कर रही थीं—पिछले चार सीरीज़ में सिर्फ 319 रन, औसतन 29, और बिना कोई ठोस सेंचुरी या फिर लगातार अर्धशतक। तो क्या उन्होंने हार मान ली? नहीं! क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में रन बना रहे अन्य विस्फोटक बल्लेबाज़ों के बीच उनका संघर्ष शायद छुप गया था।
“आपकी टीम का प्रदर्शन अच्छा हो,” वे कहतीं, “तो व्यक्तिगत आँकड़े दब जाते हैं।” पर 2025 के इंग्लैंड दौरे में, ख़ासकर डरहम के मैदान पर, उन्होंने खुद साबित कर दिया कि दबाव में भी असली नायक कैसे बनते हैं।
चौका के पहले: शुरुआती जद्दोजहद
कप्तान को हमेशा टीम के साथ लड़ना होता है, चाहे कोई भी स्थिति हो।
- भारत ने एक ठोस शुरुआत की: पहली विकेट पर स्कोर था 60/0 (11 ओवरों में)।
- लेकिन फिर स्पिनरों का दबाव बढ़ा और स्कोर बढ़ने की रफ्तार लगभग रुक-सी गई।
- दोनों ओपनर्स जल्दी आउट हो गए और दूसरे बल्लेबाज़ों के लिए दबाव बनने लगा।
11वें ओवर तक भारत ने 81/2 की स्थिति बना रखी थी। ऐसे पल होते हैं जब कप्तान को खुद टीम को संभालना पड़ता है।
हार्मनप्रीत का संघर्ष: मानसिक खेल
11 गेंदों में एक भी रन न बनना आसान नहीं होता, खासकर जब विश्व कप की तैयारी चल रही हो।
हार्मनप्रीत बताती हैं:
“पहले 11 गेंदों में रन नहीं बना, लेकिन खुद से कह रही थी — ‘मैं खुद को नहीं खोऊँगी, टीम के लिए खड़ी रहूँगी।’”
यह मानसिक दृढ़ता ही थी जिसने उन्हें मैदान पर टिकाए रखा। उनको पता था—बिना शुरुआत के अंत की उम्मीद नहीं।
विकेट के साथ समझौता नहीं
इस बीच, हार्मनप्रीत ने बल्लेबाज़ी की बुनियाद को मज़बूत किया:
- डेढ़ विकेट की साझेदारी: 81 रन की साझेदारी, थीमेटिक लेकिन धीमी, जिससे विपक्ष को भी धार दब गई।
- रिकवरी लय में: तीसरे विकेट के समय उनकी खामोशी ने स्पिन को राहत नहीं दी, और Ecclestone को दबाव में बांधा।
संक्षेप में कहा जाए—हार्मनप्रीत ने अपनी धैर्य से बल्लेबाज़ी का टेम्पो सेट किया।
लय बदलना: अपराध की शुरुआत
जब स्कोर 200 पार हुआ, तब सबने उम्मीद की: अब कप्तान मानेगी हमला।
और उन्होंने वैसा ही किया:
- रोड्रिग्स ने स्लोज़ स्टॉप किया और ली गई गति फिर से बढ़ाई—5 गेंदों में 5 चौके।
- हार्मनप्रीत भी अपनी पारी की गति तेज करके, 200 के बाद रनों को तेज़ी से जमा लिया।
उनकी बल्लेबाज़ी की रणनीति में बल्लेबाज़ी की गति बदलना और विकेट की स्थिति के अनुसार आक्रमण शुरू करना शामिल था।
खुद पर भरोसा, टीम पर असर
- “अपने पिता को यह प्रदर्शन समर्पित करना चाहता हूँ,” हार्मनप्रीत ने कहा।
- यह सिर्फ व्यक्तिगत इच्छा नहीं थी, बल्कि टीम के लिए एक संदेश था — “हम तैयार हैं, हम दबाव में भी मजबूत हैं।”
3000 अंक क्लब में शामिल
चोट के बावजूद भी उन्होंने यह सुनहरा आंकड़ा पार किया—4000 एकदिवसीय रन।
लेकिन, वे कहती हैं:
“मील के पत्थर चाहिए होते हैं, लेकिन मुझे टीम की जीत ज़्यादा मायने रखती है।”
उनका यह बैककट, आत्मविश्वास भरा पल, भारत को उस विश्व कप मोड़ पर मजबूत बना गया जहां बल्लेबाज़ों को प्रदर्शन देना था।
अंत में: क्यों यह सेंचुरी मायने रखती है?
- दबाव में आना और उभरना: इंग्लैंड जैसे सशक्त विपक्ष के सामने, मानसिक दृढ़ता और तकनीक का मेल ज़रूरी था।
- टीम निर्माण: कप्तान की पारी ने युवाओं में आत्म-विश्वास पैदा किया और भारतीय बल्लेबाज़ों ने आत्मीय लय पाई।
- राजनैतिक रणनीति: स्पिन-मैदान पर टीम को भारी स्कोर चाहिए थे—यह निशान पार हुआ, कि हरमोनप्रीत के नेतृत्व ने मजबूत स्थिति दी।
संक्षेप में
- शुरुआत थी धीमी, लेकिन हार्मनप्रीत ने रहते हुए टीम को संभाला।
- उन्होंने .psycological धारणाओं को तोड़ा, धीरे खेलते हुए ताबड़तोड़ प्रतियोगिता दिखाई।
- २०वीं ODI फिफ्टी में सेंचुरी बनाकर खुद को इंडियन वन-डे लीग में साबित कर दिया।
- 4⃣००० रन के आंकड़े तक पहुंचकर, कप्तान फिर से याद दिला दी कि वे किसी औसत खिलाड़ी से कम नहीं।
भविष्य का नेतृत्व
विश्व कप बस दो महीने दूर था। संयोजन, समर्पण और रणनीति — ये सब इस पारी में दिखे।
हार्मनप्रीत ने टीम को सिर्फ एक पारी नहीं दी, बल्कि उसे यह विश्वास दिलाया कि वे विश्व स्तर पर लड़ने की क्षमता रखते हैं।
इस प्रकार, यह लेख सिर्फ एक मैच रिपोर्ट नहीं, बल्कि कप्तान के मानवीय संघर्ष, आत्म-विश्वास और लीडरशिप का मानव–कथा बन गया।
यह ब्लॉग—हार्मनप्रीत की नहीं, बल्कि हर उस खिलाड़ी की कहानी है जो संघर्ष के बाद चमकता है।